कोरोना संक्रमण की वजह से पनपे हालात से सामान्य जीवन की ओर लौटने की तमाम कोशिशें जारी हैं. इस बीच मंगलवार से शुरू हो रही रेल सेवा में टिकट बुकिंग के लिए काफ़ी मारा-मारी दिखी.
द इंडियन एक्सप्रेस की एक ख़बर के मुताबिक, ट्रेनों को पूरी क्षमता के साथ चलाया जाएगा. यह यात्रियों पर निर्भर करेगा कि वो सोशल डिस्टेंसिंग को कैसे बरकरार रखते हैं और ट्रेनों के गंतव्य स्टेशन पहुंचने पर यह जिम्मेदारी राज्यों की होगी कि वो क्या प्रोटोकॉल अपनाते हैं.
सोमवार को टिकट बुकिंग शुरू होने के 20 मिनट में ही हावड़ा-नई दिल्ली के बीच चलने वाली ट्रेन के टिकट अगले पांच दिनों के लिए भी बिक गए. यही हाल मुंबई-नईदिल्ली रूट पर चलने वाली ट्रेन का भी रहा.
रेलवे के एक प्रवक्ता के हवाले से अख़बार ने लिखा, “रात में सवा नौ बजे तक 30 हज़ार पीएनआर जनरेट हो चुके थे और अब तक करीब 54000 यात्रियों ने रिजर्वेशन किया है.”
हालांकि तकनीकी समस्या की वजह से बुकिंग को कुछ घंटों के लिए रोकना भी पड़ा. सोमवार को प्रधानमंत्री के साथ हुई वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में कई मुख्यमंत्रियों ने इस वक़्त ट्रेन चलाए जाने को लेकर चिंता जाहिर की है.

घरेलू विमान सेवाएं भी जल्द शुरू होंगी
रेल सेवाओं के बाद घरेलू हवाई सफ़र के भी जल्द शुरू होने के आसार बन रहे हैं. सिविल एविएशन मंत्रालय फिलहाल इस बारे में अंतिम फैसला लेने की प्रक्रिया में है कि किस तरह उड़ानों को शुरू किया जाए.
द हिंदू की एक ख़बर के मुताबिक, केंद्र सरकार के एक शीर्ष अधिकारी ने बताया कि केंद्र सरकार की ओर से घरेलू उड़ानों के लिए सहमति मिल चुकी है अब राज्यों की इच्छा पर निर्भर करता है.
अख़बार ने सूत्र के हवाले से लिखा कि घरेलू विमान सेवाएं 18 मई से पहले शुरू हो सकती हैं. फिलहाल ऑपरेटिंग प्रोटोकॉल पर गौर किया जा रहा है. हालांकि राज्यों के मुख्यमंत्री ही इस संबंध में फैसला करेंगे.
ख़बर में इस बात का भी जिक्र किया गया है कि तमिलनाडु के मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के दौरान कहा कि हवाई सफ़र को 31 मई तक शुरू नहीं किया जाना चाहिए.

प्रवासियों की वापसी बिहार के लिए बड़ी चुनौती
कोरोना संक्रमण और लॉकडाउन की वजह से अलग-अलग शहरों से बिहार लौट रहे प्रवासी राज्य सरकार के लिए बड़ी चुनौती बन सकते हैं. राज्य में अगले पांच महीने बाद चुनाव हैं.
इकोनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, बीजेपी और जेडीयू के नेता लगातार प्रवासियों की वापसी से चिंतित हैं. हालांकि हर ज़िले में क्वारंटीन सेंटर बनाए गए हैं जहां बाहर से आने वाले लोगों को 14 से 21 दिनों के लिए रखा जा रहा है लेकिन इस बात की भी आशंका है कि कि बड़ी तादाद में आ रहे प्रवासी राज्य में संक्रमण के मामले बढ़ा न दें.
राज्य की खराब स्वास्थ्य व्यवस्था इस चुनौती को और बढ़ा देती है. यहां वेंटिलेटर और टेस्टिंग किट की भी कमी है. राज्य में अच्छे अस्पतालों और स्वास्थ्य विशेषज्ञों की बी कमी है.
जेडीयू नेता केसी त्यागी ने कहा, ”प्रधानमंत्री ने लोगों से अपील की कि जो जहां है वहीं रहे. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी यही बात कही. लेकिन लोगों ने सुना नहीं. जिन राज्यों में ये लोग काम करते थे वहां इन्हें खाना नहीं मिला. जब कोई विकल्प नहीं रहा तो घर लौटना मजबूरी बन गया.”