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भारत-चीन के बीच पूर्वी लद्दाख़ में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर तनाव को कम करने के लिए अगले स्तर की सैन्य बातचीत कब होगी इसके कोई संकेत नहीं मिल रहे हैं.
हिंदुस्तान टाइम्स अख़बार सूत्रों के हवाले से लिखता है कि दोनों देश कोर कमांडर स्तर की बातचीत के लिए राज़ी हैं लेकिन बातचीत कैसे और कब होगी यह बिलकुल साफ़ नहीं है.
18 दिसंबर को सीमा मामलों के लिए बनी वर्किंग मैकेनिज़म फ़ोर कंसल्टेशन एंड कोऑर्डिनेशन (WMCC) की वर्चुअल बैठक में भारत और चीन के वरिष्ठ कमांडरों के बीच जल्द अगले स्तर की बातचीत के लिए सहमति बनी थी. इसमें LAC पर सैनिकों को जल्दी पीछे हटाने पर वार्ता होनी थी.
इस मामले से जुड़े सूत्रों के हवाले से अख़बार लिखता है, “किसी भी पक्ष ने अभी तक सैन्य बातचीत के लिए कोई तारीख़ प्रस्तावित नहीं की है. बिना राजनीतिक या राजनयिक दख़ल के सीमा मुद्दा सुलझाने में कोई बड़ा हल नहीं खोजा जा सकता है.”
दोनों पक्ष अब तक आठ स्तर की सैन्य वार्ताएं कर चुके हैं लेकिन इस दौरान सीमा मुद्दा सुलझाने में कोई प्रगति होते नहीं दिखी है.
विशेषज्ञों का कहना है कि दोनों पक्षों के बीच गहरे मतभेद होने के कारण बातचीत में रुकावट आई है.

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उत्तरी कमान के कमांडर रहे लेफ़्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) डीएस हुडा कहते हैं, “इसका मुख्य कारण (बातचीत से कोई हल नहीं निकलने का) यह माना जाए कि दोनों पक्षों के पीछे हटने की शर्तें पूरा करना बहुत कठिन हैं. यह सिर्फ़ तभी हो सकता है जब राजनयिक या राजनीतिक स्तर की बातचीत हो क्योंकि सैन्य स्तर की चर्चा सिर्फ़ मामूली मुद्दों को हल कर पाएगी.”
भारत और चीन लद्दाख़ सेक्टर में काफ़ी लंबे समय तक टिकने को तैयार हैं और भारी ठंड के महीनों में भी LAC पर आगे की स्थिति पर पकड़ बनाए रखने को लेकर दृढ़ हैं.
लेफ़्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) हुडा कहते हैं, “सर्दियां शुरू होने से पहले दोनों पक्षों के पास यह लाभ था कि वे किसी समझौते पर पहुंचकर अपने जवानों को सर्दियां शुरू होने से पहले वापस बुला लेते. अब यह लाभ ग़ायब हो चुका है क्योंकि अब जवान पूरी सर्दियों में ज़मीनी पकड़ बनाए रखने को लेकर तैयार हैं.”
सैन्य वार्ताओं में जहां भारत सभी जगहों पर शुरुआती अप्रैल की स्थिति लागू करने की मांग कर रहा है. वहीं चीनी पक्ष की मांग है कि भारतीय सेना पहले पैंगोंग झील के दक्षिणी किनारे पर स्थित रणनीतिक ऊंचाई वाली जगहों से सुरक्षाबलों को हटाए.